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भागवत मन को तृप्त करती है: प्रणवानंद
शोभायात्रा के साथ भागवत कथा प्रारंभ
इन्दौर. भागवत कथा का रसपान ऋषियों की पवित्र भूमि पर करने का अवसर मिले तो यह पुण्य कर्मों का फल ही है. भागवत मन को तृप्त करती है. ऋषि भूमि पर कथा सुनने से मानव मोक्ष पाने का अधिकारी बन जाता है और अपने सभी कर्मों से मुक्त होकर प्रभु की शरण में चला जाता है.
उक्त विचार वृंदावन से आए महामंडलेश्वर आचार्य स्वामी प्रणवानंद सरस्वती महाराज ने शुक्रवार को गीता भवन परिसर में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के शुभारंभ अवसर पर सभी भक्तों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए. उन्होंने आगे कथा में कहा कि भागवत पुराण सनातन धर्म की पुण्यदायी और मंगलकारी गौरव गाथा है। इस कथा में वह शक्ति है जो मनुष्य के ह्रदय को सात्विकता के रस से पवित्र करती है और मनुष्य के सभी पापों का नाश कर उसे सद्कर्मों की और मोड़ती है.
गीता भवन भक्त मंडल एवं अखण्ड प्रणव योग वेदांत पारमार्थिक न्यास से जुड़े प्रदीप अग्रवाल, मनोज गुप्ता एवं मनोज रामनानी ने जानकारी देते हुए बताया कि गीता भवन परिसर में यह श्रीमद् भागवत कथा की शुरूआत शुक्रवार को भव्य शोभायात्रा के साथ हुई. शोभायात्रा में गीता भवन ट्रस्ट से जुड़े पदाधिकारियों के साथ-साथ मनोरमागंज के रहवासी एवं अनेक भक्त शामिल हुए.
गीता भवन से निकली शोभायात्रा विभिन्न मार्गों से होते हुए पुन: मंदिर परिसर पहुंची जहां आरती के पश्चात श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ किया गया. श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम व्यासपीठ का पूजन प्रदीप नीमा एवं सुयश बागरेचा सहित सभी भक्तों ने किया। गीता भवन भक्त मंडल एवं अखण्ड प्रणव योग वेदांत पारमार्थिक न्यास से जुड़े प्रदीप अग्रवाल ने बताया कि वृंदावन से पधारे महामंडलेश्वर आचार्य स्वामी प्रणवानंद सरस्वती प्रतिदिन भक्तों को कथा का रसपान कराऐंगे।